5 जजों की संविधान पीठ करेगी फैसला, 8 सवालों से तय होगा शिवसेना का अधिकार

शिवसेना पर अधिकार को आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। इससे पहले 25 अगस्त को सुनवाई होनी थी, लेकिन कोर्ट में लिस्टिंग न होने की वजह टल गई। पांच जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी।
पूर्व CJI एनवी रमना, जस्टिस कृष्णा मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने 8 सवाल तैयार किए हैं। इन सवालों के आधार पर संविधान पीठ फैसला करेगी कि शिवसेना किसकी है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वह पार्टी सिंबल विवाद पर गुरुवार तक फैसला ना ले।
शिंदे ने अयोग्यता के आरोप को बताया था गलत
पिछली सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि हमारे ऊपर अयोग्यता का आरोप गलत लगाया गया है। हम अभी भी शिवसैनिक हैं। उधर, सुप्रीम कोर्ट में उद्धव ठाकरे गुट की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि शिंदे गुट में जाने वाले विधायक संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता से तभी बच सकते हैं, अगर वो अलग हुए गुट का किसी अन्य पार्टी में विलय कर देते हैं। उन्होंने कहा था कि उनके बचाव का कोई दूसरा रास्ता नहीं है।
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20 जून को शिवसेना के 15 विधायक 10 निर्दलीय विधायकों के साथ पहले सूरत और फिर गुवाहाटी के लिए निकल गए।
23 जून को शिंदे ने दावा किया कि उनके पास शिवसेना के 35 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। लेटर जारी किया गया।
25 जून को डिप्टी स्पीकर ने 16 बागी विधायकों को सदस्यता रद्द करने का नोटिस भेजा। बागी विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।
26 जून को सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना, केंद्र, महाराष्ट्र पुलिस और डिप्टी स्पीकर को नोटिस भेजा। बागी विधायकों को राहत कोर्ट से राहत मिली।
28 जून को राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे को बहुमत साबित करने के लिए कहा। देवेंद्र फडणवीस ने मांग की थी।
29 जून को सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
30 जून को एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। भाजपा के देवेंद्र फडणवीस उप मुख्यमंत्री बनाए गए।
3 जुलाई को विधानसभा के नए स्पीकर ने शिंदे गुट को सदन में मान्यता दे दी। अगले दिन शिंदे ने विश्वास मत हासिल कर लिया।
3 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा- हमने 10 दिन के लिए सुनवाई क्या टाली आपने (शिंदे) सरकार बना ली।
4 अगस्त को SC ने कहा- जब तक ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, तब तक चुनाव आयोग कोई फैसला न ले
4 अगस्त की सुनवाई के बाद मामले की सुनवाई तीन बार टली। यानी 23 अगस्त से पहले 8, 12 और 22 अगस्त को कोर्ट ने कोई फैसला नहीं दिया।
23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में मामला संविधान पीठ को ट्रांसफर किया।