Haryana Politics: आखिर क्यों भूपेंद्र सिंह हुड्डा बन गए हरियाणा कांग्रेस के विलेन, आज़ाद से मुलाकात के मायने समझे

Haryana Politics: आखिर क्यों भूपेंद्र सिंह हुड्डा बन गए हरियाणा कांग्रेस के विलेन, आज़ाद से मुलाकात के मायने समझे

राजनीति में कब कौन किसका दुश्मन बन जाएं किसी को नही पता। ये बात तो जगजाहिर है कि इसवक्त कांग्रेस पार्टी देश की वो पार्टी बन गयी है जो अब अपने बचे हुए सेनापति को बचाने में जुटी है। बड़े दिग्गज नेता टूट रहे है और पार्टी छोड़ रहे है तो वही जो है वो नए अध्यक्ष की मांग कर रहे है। इसवक्त ये बात साफ है कि देश को मजबूत नेतृत्व बीजेपी में देखने को मिला है और शायद यही कारण है कि ज्यादातर राज्यों में बीजेपी का कमल खिल रहा है।

अगर हम बात करे हरियाणा कांग्रेस की तो पिछले दिनों हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आजाद से मुलाकात पर कांग्रेस की अलाकमान खासा नाराज़ दिखी। कांग्रेस की कुमारी सैलजा ने तो उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर डाली है। अब इस मामले में हुड्डा ने खुद सामने आकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि आजाद का कांग्रेस के साथ पांच दशक से ज्यादा साथ रहा है। वो हमारे पुराने साथी रहे हैं। हुड्डा ने वो वजह भी बताई, जिसके कारण उन्होंने आजाद से मुलाकात की।

अगर हम बात करे हरियाणा कांग्रेस की तो पिछले दिनों हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आजाद से मुलाकात पर कांग्रेस की अलाकमान खासा नाराज़ दिखी। कांग्रेस की कुमारी सैलजा ने तो उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर डाली है। अब इस मामले में हुड्डा ने खुद सामने आकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि आजाद का कांग्रेस के साथ पांच दशक से ज्यादा साथ रहा है। वो हमारे पुराने साथी रहे हैं। हुड्डा ने वो वजह भी बताई, जिसके कारण उन्होंने आजाद से मुलाकात की।

हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने कहा, ‘जहां तक ​​गुलाम नबी आजाद से मिलने की बात है, हम इतने सालों से एक ही पार्टी में हैं, एक ही परिवार में हैं। हमारी कुछ मांगें थीं और उन्हें मान लिया गया। कांग्रेस अध्यक्ष ने हमारी सभी मांगों को मान लिया है। पार्टी में चुनाव हो रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने (आजाद) पार्टी को छोड़ने का फैसला किया। हमने उससे पूछा कि वह क्यों चले गए? हमने उनसे कहा कि पहले, दुश्मनी जैसी कोई बात नहीं थी।”

ये दोस्ती के मायने है या फिर नए राजनीतिक समीकरण के ये तो वक़्त बतायेगा लेकिन बीजेपी भी हुड्डा और आजाद की मुलाकात पर पैनी नज़र बनाई हुई है। ग़ुलाम नबी आजाद जो कि पुराने राजनीति के खिलाड़ी रह चुके है और शुरू से उनका नाम कांग्रेस के दिग्गत नेताओं में शुमार था लेकिन अब वो नई पारी की शुरुआत कर सकते है। ऐसे में दोनों नेताओं की मुलाकात काफी अहम थी।

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