नेपाल कांग्रेस के नेता प्रदीप गिरी की याद में स्मृति सभा, लोग बोले- विश्व नागरिकता थे पैरोकार..

Pradeep Giri: सभा में उपस्थित लोगों ने गिरी द्वारा नेपाल के लिए किए गए संघर्षों को याद करते हुए कहा, प्रदीप गिरी नेपाल के नहीं थे। भारत के नहीं थे। उगांडा, जाम्बिया या अफ़ग़ानिस्तान के नहीं थे। मन और मिज़ाज में एक समतामूलक समाज का खाका लिए घूमते विश्व नागरिकता के पैरोकार थे…
नेपाल कांग्रेस के नेता और विधायक प्रदीप गिरी की स्मृति में दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में गुरुवार शाम को एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। सभा में उपस्थित लोगों ने गिरी द्वारा नेपाल के लिए किए गए संघर्षों को याद करते हुए कहा, प्रदीप गिरी नेपाल के नहीं थे। भारत के नहीं थे। उगांडा, जाम्बिया या अफ़ग़ानिस्तान के नहीं थे। मन और मिज़ाज में एक समतामूलक समाज का खाका लिए घूमते विश्व नागरिकता के पैरोकार थे।
नेपाल कांग्रेस के नेता और विधायक प्रदीप गिरी की स्मृति में दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में गुरुवार शाम को एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। सभा में उपस्थित लोगों ने गिरी द्वारा नेपाल के लिए किए गए संघर्षों को याद करते हुए कहा, प्रदीप गिरी नेपाल के नहीं थे। भारत के नहीं थे। उगांडा, जाम्बिया या अफ़ग़ानिस्तान के नहीं थे। मन और मिज़ाज में एक समतामूलक समाज का खाका लिए घूमते विश्व नागरिकता के पैरोकार थे।
प्रदीप जी नेपाली कांग्रेस के बड़े नेता थे और भारत के हर समाजवादी नेता के कार्यकलाप से वे परिचित थे। मधु लिमये, जॉर्ज और राजनारायण से लेकर जेपी..लोहिया के किस्सों के वे जानकार थे। वे राजनीति के साथ साहित्य के भी बड़े छात्र थे। हिंदी, उर्दू और अंग्रेज़ी के बड़े साहित्यकारों को वे पढ़ चुके थे और उर्दू शायर तो उनकी ज़ुबान पर थे। वे ज्ञान और प्रेम के अद्भुत प्रतिनिधि थे। उनके जाने से भारत, नेपाल का समाजवादी आंदोलन वैचारिक रूप से और गरीब हो गया है।
स्मृति सभा में कांग्रेस नेता मोहन प्रकाश, जेडीयू नेता केसी त्यागी, भारत में नेपाल के राजदूत डॉ. शंकर प्रसाद शर्मा और जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर और सामाजिक चिंतक आनंद कुमार समेत भारत और नेपाल के सामाजिक आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ताओं ने भी अपने विचारों में प्रदीप गिरी को याद किया।
बनारस से रहा पुराना नाता: स्मृति सभा में मौजूद लोगों ने कहा कि नेपाली कांग्रेस नेता और विधायक प्रदीप गिरी का 74 वर्ष की आयु में नेपाल में बीते दिनों निधन हो गया। प्रदीप गिरी का काशी से काफी पुराना नाता रहा है। वह बनारस में लगातार 20 वर्षों तक नेपाली खपड़ा मोहल्ले सहित कई अन्य स्थानों में रहे हैं। वर्ष 1960 में तत्कालीन नेपाल नरेश द्वारा लोकतांत्रिक सरकार समाप्त कर दी गई थी। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री वीपी कोइराला के साथ नेपाली कांग्रेस के काफी संख्या में नेता व कार्यकर्ता वाराणसी आ गये थे। वीपी कोईराला को रहने के लिए भारत सरकार ने सारनाथ में गेस्ट हाउस का प्रबंध किया था। बाकी नेता व कार्यकर्ता नेपाली खपड़ा सहित विभिन्न इलाकों में रहे। उन्हीं के साथ आये प्रदीप गिरी नेपाली खपड़ा और बीएचयू छात्रावास में भी रहे।
भारत नेपाल मैत्री संघ चलाते थे: वहां से आए कार्यकर्ताओं व नेताओं की देखभाल का काम सोशलिस्ट पार्टी के नेताओं के जिम्मे था। प्रदीप गिरी 1980 तक नेपाल में दोबारा चुनाव होने तक बनारस में ही रहे। बनारस में निवास के दौरान वह भारत-नेपाल मैत्री संघ चलाते थे। प्रदीप गिरि नेपाल के जनकपुर से निर्वाचित होते थे। जनकपुर निवासी प्रदीप गिरी कैंसर से पीड़ित थे। उनका इलाज पिछले छह माह से कांग्रेस नेता मोहन प्रकाश करा रहे थे। 74 वर्ष की अवस्था में उन्होंने अस्पताल में अंतिम सांस ली।
जयप्रकाश को आदर्श मानने वाले थे प्रदीप गिरी: स्मृति सभा में शामिल लोगों ने प्रदीप गिरी को याद करते हुए कहा, नेपाल में लोकतंत्र बहाली के बड़े रहनुमा, बौद्धिक राजनेता और गांधी, लोहिया, जयप्रकाश को आदर्श मानने वाले समाजवादी साथी प्रदीप गिरी चिकित्सा के लिए दिल्ली और मुंबई भी आए थे। डॉक्टरों के जवाब दे देने के बाद काठमांडू लौट गए थे। बनारस, बीएचयू और सयुस की एक पीढ़ी से उनका आत्मीय नाता था। लोहिया व जयप्रकाश नेपाल की राजशाही के खिलाफ नेपाल की जमीन पर लड़ने गए थे। प्रदीप गिरी उस धारा के सच्चे उत्तराधिकारी थे। समाजवादी साथी की स्मृतियों के प्रति श्रद्धावनत है।
नेपाल के पीएम ने दी श्रद्धांजलि: प्रदीप गिरी कैंसर से पीड़ित थे। नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने गिरी के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने अपने शोक संदेश में गिरी को सच्चा और अच्छा नेता बताया, देउबा ने ट्वीट कर कहा, मैं अपने मित्र प्रदीप गिरी जी, नेपाली कांग्रेस के नेता और नेपाली राजनीति के एक दार्शनिक और समाजवादी विचारक के निधन की खबर से बहुत स्तब्ध हूं।उनके निधन से नेपाल ने एक सच्चे और अच्छे नेता को खो दिया है।
कैंसर से जूझ रहे थे प्रदीप गिरी: स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे गिरी ने कैंसर का पता चलने के बाद कई महीनों तक भारत में इलाज कराया। इलाज के बाद घर लौटने के कुछ देर बाद ही उनकी तबीयत बिगड़ गई। हाल ही में, वह निमोनिया से पीड़ित थे। जिसके कारण कई अंग फेल हो गए थे। एक सप्ताह पहले गिरी की तबीयत खराब होने पर वेंटिलेटर सपोर्ट से उनका इलाज किया जा रहा था। उन्होंने कुछ दिन पहले लोगों को पहचानना और दूसरों से बात करना बंद कर दिया था। पूर्वी नेपाल के सिराहा में जन्मे गिरी ने भारत के जवाहरलाल विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र और अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री हासिल की। गिरी के पिता नेत्र लाल गिरि नेकां के नेता थे। अपने पिता से प्रेरित होकर वह 1961 में नेकां में शामिल हुए। पंचायती शासन के दौरान गिरी ने चार साल जेल में बिताए। वह नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच एक लोकप्रिय नेता थे। गिरी ने दो दर्जन से अधिक पुस्तकें भी लिखी हैं। एक गांधीवादी राजनेता जो मार्क्सवाद की व्याख्या कर सकते थे।