PFI Banned: ‘कांग्रेस हमेशा से सांप्रदायिकता के खिलाफ रही है’, पीएफआई प्रतिबंध के बाद बोले जयराम रमेश

केंद्र सरकार द्वारा पीएफआई पर पांच साल का प्रतिबंध लगाने के बाद कांग्रेस की प्रतिक्रिया सामने आई है। कांग्रे महासचिव जयराम रमेश ने कांग्रेस के रुख को स्पष्ट किया है।
केंद्र सरकार द्वारा पीएफआई पर पांच साल का प्रतिबंध लगाने के बाद कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा से सांप्रदायिकता के खिलाफ रही है। कांग्रेस की नीति हमेशा से बिना किसी डर और समझौते के सांप्रदायिकता से लड़ने की रही है। हम हर उस विचारधारा और संस्था के खिलाफ हैं जो हमारे समाज का धार्मिक ध्रुवीकरण करने के लिए पूर्वाग्रह, नफरत, कट्टरता और हिंसा का सहारा लेती है। हम भारत के बहुलतावाद को संरक्षित और संवर्धित करने की लड़ाई प्राथमिकता से लड़ रहे हैं तथा राष्ट्रवादी उत्सव में भारत के सेक्युलर और सामूहिकता के तानेबाने को पुष्पित और पल्लवित कर रहे हैं। बता दें कि आतंकी फंडिंग व अन्य अवैध गतिविधियों में शामिल पाए जाने के बाद कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ( PFI) पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया गया है। गृह मंत्रालय की ओर से इसके लिए अधिसूचना (नोटिफिकेशन) भी जारी कर दी गई है।
आरएसएस पर भी लगे प्रतिबंध: कांग्रेस सांसद के. सुरेश
वहीं केरल में कांग्रेस सांसद और लोकसभा में मुख्य सचेतक कोडिकुन्निल सुरेश ने इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, पीएफआई पर प्रतिबंध लगाना कोई उपाय नहीं है। हम आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग करते हैं। आरएसएस पूरे देश में हिंदू सांप्रदायिकता फैला रहा है। पीएफआई और आरएसएस एक समान हैं, इसलिए सरकार को दोनों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
PFI क्या है?
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई का गठन 17 फरवरी 2007 को हुआ था। ये संगठन दक्षिण भारत के तीन मुस्लिम संगठनों का विलय करके बना था। इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिथा नीति पसराई शामिल थे। पीएफआई का दावा है कि इस वक्त देश के 23 राज्यों यह संगठन सक्रिय है। देश में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट यानी सिमी पर बैन लगने के बाद पीएफआई का विस्तार तेजी से हुआ है। कर्नाटक, केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में इस संगठन की काफी पकड़ बताई जाती है। इसकी कई शाखाएं भी हैं। गठन के बाद से ही पीएफआई पर समाज विरोधी और देश विरोधी गतिविधियां करने के आरोप लगते रहते हैं।
इस संगठन पर क्या आरोप हैं?
PFI एक कट्टरपंथी संगठन है। 2017 में NIA ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। NIA जांच में इस संगठन के कथित रूप से हिंसक और आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने के बात आई थी। NIA के डोजियर के मुताबिक यह संगठन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। यह संगठन मुस्लिमों पर धार्मिक कट्टरता थोपने और जबरन धर्मांतरण कराने का काम करता है। एनआईए ने पीएफआई पर हथियार चलाने के लिए ट्रेनिंग कैंप चलाने का आरोप लगाया है। इतना ही नहीं यह संगठन युवाओं को कट्टर बनाकर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए भी उकसाता है।
पीएम मोदी भी थे टारगेट पर
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को लेकर एक और सनसनीखेज खुलासा किया है। अधिकारियों ने दावा किया है कि ने इस साल जुलाई में बिहार की राजधानी पटना में पीएफआई(PFI)ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले करने की खतरनाक योजना बनाई थी। इसके लिए संगठन ने पटना में ट्रैनिंग कैंप भी लगाया था और कई सदस्यों को ट्रेनिंग देने का काम किया। इतना ही नहीं वित्तपोषण के लिए कई विदेशी ताकतों के संपर्क में थे। पीएम मोदी के हर गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी। मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक केवल पीएम मोदी पर ही हमले नहीं बल्कि PFI अन्य हमलों के लिए भी टेरर मॉड्यूल तैयार कर रहा था।