राजस्थान में रस्साकशी : बगावत से आहत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया बोलीं- यह उम्मीद नहीं थी, जानें अब तक के अपडेट

राजस्थान में रस्साकशी : बगावत से आहत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया बोलीं- यह उम्मीद नहीं थी, जानें अब तक के अपडेट

राजस्थाना में उठे सियासी संकट के बीच पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी रात में सोनिया से मुलाकात की। सूत्र कहते हैं कि प्रियंका गहलोत से बात कर सकती हैं। प्रियंका की सिफारिश पर ही 2018 में पायलट की जगह गहलोत सीएम बने थे। बाद में, बागी पायलट को भी प्रियंका ने मनाया था।

राजस्थान में अशोक गहलोत समर्थक विधायकों की बगावत को राज्य के प्रभारी महासचिव अजय माकन ने अनुशासनहीनता करार दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी पूरे घटनाक्रम से आहत हैं। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, सोनिया ने कहा कि गहलोत ऐसा कैसे कर सकते हैं, उनसे यह उम्मीद नहीं थी।

ऐसे में पार्टी का अध्यक्ष पद गहलोत की पहुंच से दूर जाता दिख रहा है। दावा है कि गांधी परिवार भी अब गहलोत से इतर नामों पर विचार कर रहा है। गहलोत सोमवार को नामांकन भरने वाले थे, पर उन्होंने परचा तक नहीं लिया। संभव है कि वह खुद ही चुनाव न लड़ें।

विधायक दल की बैठक के लिए बतौर पर्यवेक्षक गए मल्लिकार्जुन खरगे और माकन ने सोमवार को सोनिया गांधी को जयपुर के अप्रत्याशित घटनाक्रम की जानकारी दी। बाद में, माकन ने पत्रकारों को बताया, पार्टी अध्यक्ष ने घटनाक्रम की पूरी रिपोर्ट लिखित में मांगी है। माकन ने बताया, विधायकों के प्रतिनिधियों के रूप में शांति धारीवाल, महेश जोशी और प्रताप खाचरियावास उनसे मिले।

उन्होंने तीन शर्तें रखीं, जिन्हें उन्होंने हितों का टकराव कहते हुए मानने से इन्कार कर दिया। माकन ने कहा, कांग्रेस के 75 वर्ष के इतिहास में कभी भी सशर्त प्रस्ताव नहीं पारित हुआ। बैठक में होने वाली सारी बातों की जानकारी अध्यक्ष को दे दी जाती है। इसके बाद अध्यक्ष अंतिम निर्णय लेता है। इसलिए शर्तें रखना गलत हैं।

सोनिया से मिले कमलनाथ, कहा- न पर्चा भरूंगा, न मध्यस्थता
सोनिया ने सियासी संकट के बीच मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और परिवार के पुराने वफादार कमलनाथ को बुलाया था। कमलनाथ ने मुलाकात के बाद कहा कि न तो मैं कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए पर्चा दाखिल करने जा रहा हूं और न ही मैं गहलोत से बातचीत करूंगा।

चर्चा में नए नाम : गहलोत को लेकर बदले रुख के बाद अगले अध्यक्ष के रूप में कमलनाथ के साथ मल्लिकार्जुन खरगे व मुकुल वासनिक का नाम चर्चा में है।

माकन बोले- गहलोत गुट की शर्तों से हितों का सीधा टकराव

पहली शर्त : नए मुख्यमंत्री के चयन संबंधी जो भी निर्णय हो, उस पर अमल 19 अक्तूबर को अध्यक्ष पद के चुनाव के बाद हो।

माकन का जवाब : ऐसा करना हितों का सीधा टकराव माना जाएगा, क्योंकि अगर आज गहलोत को हटाया जाता है और वह अध्यक्ष चुन लिए जाते हैं, तो प्रस्ताव पर तब गहलोत ही अंतिम फैसला लेंगे। ऐसा कैसे हो सकता है?

दूसरी शर्त : पर्यवेक्षक विधायकों के साथ अलग-अलग नहीं, बल्कि समूहों में चर्चा कर उनकी राय जानें।

माकन : आलाकमान ने अलग-अलग बात करने का निर्देश दिया है। इस दौरान सभी विधायक खुलकर अपनी बात रख सकते हैं।

तीसरी शर्त : मुख्यमंत्री उन 103 विधायकों में से चुना जाए, जो 2020 में राजनीतिक संकट में सरकार के पक्ष में खड़े थे।

माकन का जवाब : विधायकों से बात कर आलाकमान को बता दिया जाएगा, वह वरिष्ठ नेताओं से बात कर विवेक से निर्णय लेंगी।

गद्दारों को इनाम बर्दाश्त नहीं… पायलट के पक्ष में थे माकन : धारीवाल

गहलोत के करीबी मंत्री शांति धारीवाल ने माकन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वह विधायकों से पक्षपाती तरीके से बात कर रहे थे और सचिन पायलट के पक्ष में माहौल बना रहे थे। धारीवाल ने कहा, कई दिनों से सूचनाएं थीं कि वह सचिन पायलट के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं। माकन विधायकों से पायलट खेमे में जाने के लिए कह रहे थे, हमारे पास इसका सबूत है। यदि गद्दारों को पुरस्कृत करने की कोशिश करेंगे, तो बर्दाश्त नहीं होगा। गुस्सा होना भी स्वाभाविक है।

सोनिया से मिलीं प्रियंका, कर सकती हैं गहलोत से बात

पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी रात में सोनिया से मिलीं। सूत्रों के अनुसार, प्रियंका गहलोत से बात कर सकती हैं। पि्रयंका की सिफारिश पर ही 2018 में पायलट की जगह गहलोत मुख्यमंत्री बने थे। बाद में, बागी हुए पायलट को भी प्रियंका ने ही मनाया था।

आलाकमान की नाराजगी भांप होटल पहुंचे गहलोत…खरगे मिले, माकन नहीं

माकन के अनुशासन तोड़ने के बयान के बाद आलाकमान की नाराजगी भांप गहलोत खरगे और माकन से मिलने होटल पहुंचे। हालांकि, खरगे से मुलाकात हुई, लेकिन माकन नहीं मिले।

कांग्रेस कार्यसमिति के कुछ सदस्यों ने गहलोत को अध्यक्ष की दौड़ से बाहर करने की सलाह दी है। सदस्यों के नाम सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।
कारण बताओ नोटिस दे सकती है पार्टी

सूत्रों के मुताबिक, गहलोत समर्थकों में ज्यादा मुखर विधायकों को कारण बताओ नोटिस दिया जा सकता है। इनमें शांति धारीवाल, प्रताप खाचरियावास और महेश जोशी शामिल हैं।

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