Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने दिया सरकार को सुझाव, कॉरपोरेट कंपनियों से बनवाएं जेल, बदले में दें कर छूट

पीठ ने कहा, किसी भी सरकार के लिए जेलों में सुविधाएं सबसे निम्न प्राथमिकिता है। उन्हें अस्पताल और स्कूल बनाने होते हैं। यूरोप में तो निजी जिम्मेदारी की अवधारणा है।
जेलों में सुविधाओं की भारी कमी और कैदियों की बढ़ती तादाद पर सुध लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निजी जेलों का सुझाव दिया। सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा की जेल से अस्पताल में शिफ्ट करने की अर्जी पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कॉपोरेट सोशल रिस्पॉन्सबिलिटी (सीएसआर) का ध्यान दिलाया और कंपनियों से जेल बनवाने और बदले में कर छूट देने का सुझाव दिया। इससे पूर्व पीठ ने तलोजा जेल अधीक्षक को कार्यकर्ता नवलखा को मुंबई के जसलोक अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करने का आदेश दिया।
जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने कहा, बड़ी संख्या में कॉरपोरेट कंपनियों को इसका हिस्सा बनाया जा सकता है। जस्टिस जोसेफ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, उनकी कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सबिलिटी के तहत आप उनसे जेल बनाने को कह सकते हैं।
पीठ ने कहा, किसी भी सरकार के लिए जेलों में सुविधाएं सबसे निम्न प्राथमिकिता है। उन्हें अस्पताल और स्कूल बनाने होते हैं। यूरोप में तो निजी जिम्मेदारी की अवधारणा है। यहां आप कॉरपोरेट को इसमें शामिल कर सकते हैं। ये कंपनियां आपके लिए जेल बना देंगी। पीठ ने मेहता से कहा, इससे सरकारी खजाने पर भी बोझ नहीं पड़ेगा और कंपनियां इस काम में किए खर्च पर आयकर लाभ भी ले सकती हैं।
हम उनका जीवन अमानवीय नहीं बना सकते
पीठ ने कहा, नियम तो यह है कि आरोपियों और दोषियों को एक साथ नहीं रखा जाना चाहिए। लेकिन हमारी जेलों में तो भीड़ लगी है। यहां कैदी जैसे रहते हैं वह बहुत बुरा हाल है। हम उनको अमानवीय जीवन नहीं दे सकते। पीठ ने कहा, जानवरों को भी इससे बेहतर रखा जाता है।