SC: सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल से जुड़ी याचिका कलकत्ता हाई कोर्ट को ट्रांसफर की, जानें क्या है पूरा मामला

याचिकाकर्ता गोलम गाजी ने पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में मौजा-तौशखली के अंतर्गत आने वाले कुछ क्षेत्रों से संबंधित एक याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि प्रतिवादी नदी के तटबंध को काटकर निजी लाभ के लिए नदी के प्रवाह को मोड़ने की कोशिश कर रहा है। प्रतिवादी के ऐसा करने से आसपास के गांवों की पूरी आबादी को खतरा है।
सीजेआई यूयू ललित और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे कलकत्ता उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया है। ये याचिका पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के मौजा-तौशखली के अंतर्गत आने वाले कुछ क्षेत्रों से संबंधित थी।
दरअसल, याचिकाकर्ता गोलम गाजी ने पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में मौजा-तौशखली के अंतर्गत आने वाले कुछ क्षेत्रों से संबंधित एक याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता के वकील अधिवक्ता शांति रंजन दास, अनिंदो मुखर्जी और रामेश्वर प्रसाद गोयल ने कहा कि प्रतिवादी नदी के तटबंध को काटकर निजी लाभ के लिए नदी के प्रवाह को मोड़ने की कोशिश कर रहा है। प्रतिवादी के ऐसा करने से आसपास के गांवों की पूरी आबादी को खतरा है।
इस पर सुनवाई करते हुए सीजेआई यूयू ललित ने कहा कि याचिकाकर्ता का यह कहना सही है कि किसी को भी नदी की धारा नहीं बदलनी चाहिए। एम.सी. मेहता बनाम कमलनाथ में भी यही कहा गया था।सीजेआई यूयू ललित और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने आगे कहा कि हमारे विचार में, चूंकि यह मामला पश्चिम बंगाल के क्षेत्र से संबंधित है, इसलिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका पर विचार करने के बजाय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दायर याचिका के माध्यम से उन्हीं मुद्दों को आंदोलन करना बेहतर होगा।
पीठ ने आगे कहा कि इसलिए, इस याचिका को कलकत्ता उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया जाता है। साथ ही कलकत्ता उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता हैं कि इसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत एक जनहित याचिका के रूप में पंजीकृत किया जाए और इसे निपटान के लिए न्यायालय के समक्ष रखा जाए।।