सुचित्रा सेन ने कमरे में कर लिया था खुद को कैद, आखिरी बार नंगे पांव इस हालत में आई थीं नजर

सुचित्रा सेन ने कमरे में कर लिया था खुद को कैद, आखिरी बार नंगे पांव इस हालत में आई थीं नजर

सुचित्रा सेन जिन्होंने राज कपूर से लेकर सत्यजीत रे जैसे जाने माने निर्देशकों की फिल्मों को नकार दिया। एक समय ऐसा आया कि वह अपने भीतर चल रहे तूफान में ही धंसती गईं। सुचित्रा ने अपने सुपरहिट करियर को छोड़ अध्यात्म का रास्ता चुन लिया

सुचित्रा सेन…। बांग्ला फिल्मों की वो एक्ट्रेस जिसके नाम का डंका बॉलीवुड तक बजता था। सुचित्रा सेन का फिल्म इंडस्ट्री में वो रुतबा रहा कि जिन सत्यजीत रे और राज कपूर की फिल्मों में आने के लिए एक्ट्रेसेस तरसती थीं। उनकी फिल्में भी वो छोटी सी बात पर ठुकरा देतीं। कुल 61 फिल्मों में से हिंदी में कुल 6 फिल्में कीं, बाकी बांग्ला फिल्में ही थीं। सुचित्रा के स्टार पावर का अंदाजा इससे भी लगाया सकता है कि उन्हें अपने हीरो से ज्यादा फीस मिलती थी।

6 अप्रैल 1931 में ब्राह्मण परिवार में जन्मीं सुचित्रा के पिता हेड मास्टर और मां गृहिणी थीं। आजादी की लड़ाई के समय सुचित्रा का परिवार बांग्लादेश के सिराजगंज से पश्चिम बंगाल पहुंचा। यहां सुचित्रा की महज 15 साल की उम्र में 1947 में दीबानाथ सेन से शादी करवा दी गई जो एक कामयाब बिजनेसमैन थे। 16 साल की उम्र में सुचित्रा ने बेटी मुनमुन सेन को जन्म दिया जो एक कामयाब एक्ट्रेस रही हैं।

सुचित्रा हमेशा से एक्टिंग करना चाहती थीं। पति और ससुर की मदद से सुचित्रा फिल्मों में आईं लेकिन जब कामयाब हुईं तो उनका करियर शादी के बीच आ गया। शादी के 4 साल बाद सुचित्रा ने शेष कोथाए में काम किया लेकिन ये फिल्म रिलीज नहीं हुई। अगले साल सुचित्रा ने उत्तम कुमार के साथ शारे चौत्तोर से डेब्यू किया। ये फिल्म और दोनों की ऑनस्क्रीन जोड़ी काफी हिट हुई। ये एक आइकॉनिक जोड़ी बनी जिसे 20 सालों तक खूब पसंद किया।
कहा जाता है कि सुचित्रा सेन फिल्मों में इतनी व्यस्त हो गईं कि इससे उनकी शादीशुदा जिंदगी में दिक्कतें आने लगीं। वो पति और घर को समय नहीं दे पाती थीं। उनके पति दीबानाथ शराब पीने लगे, दोनों के बीच अनबन बढ़ती चली गई। आखिरकार दीबानाथ उन्हें छोड़कर अमेरिका चले गए, जहां 1970 में उनका निधन हो गया। जब 1978 में सुचित्रा की फिल्म प्रनोय पाशा फिल्म फ्लॉप हो गई तो सुचित्रा ने अचानक फिल्मी दुनिया छोड़ दी। इस समय सुचित्रा राजेश खन्ना के साथ नाती बिनोदिनी में काम कर रही थीं, लेकिन उनके अचानक चले जाने से ये फिल्म बीच में ही रुक गई।

सुचित्रा ने ग्लैमरस दुनिया को अचानक अलविदा कह दिया। निजी जिंदगी में उनके साथ क्या हो रहा था ये तो किसी को नहीं पता लेकिन वह खुद में ही उलझ सही गई थीं। खुद को एक छोटे से कमरे में बंद कर लिया था और एक बिस्तर पर पड़ी रहीं। उन्होंने सख्ती से सभी को मना कर दिया था कि वह किसी से मिलना नहीं चाहती हैं। वह परिवार से भी नहीं मिलती थीं। एक बार उनकी नातिन राइमा ने बताया था कि वह कमरे से निकलती ही नहीं थीं। अगर वह कमरे से बाहर आती भी थीं तो चेहरे पर कपड़ा ठके रखती थीं। फिर एक समय ये आया कि उन्होंने रामकृष्ण आश्रम के भरत महाराज से अध्यात्म की राह पकड़ ली। सुचित्रा को महज एक बार घर से बाहर तब देखा गया जब वो भरत महाराज के निधन पर नंगे पांव बेलूर मठ पहुंची थीं। सुचित्रा का नातिन राइमा सेन बताती हैं कि उनकी नानी कभी-कभी कमरे से बाहर आती थीं, लेकिन इस समय उनका तीन चौथाई चेहरा कपड़े से ढंका होता था।
लंग इन्फेक्शन के चलते 24 जनवरी 2013 को सुचित्रा को अस्पताल में भर्ती किया गया। उन्हें अस्पताल में भी छिपाकर रखा जाता था। एक महीने तक चले ट्रीटमेंट के बाद 17 जनवरी 2014 में सुबह 8ः25 पर हार्टअटैक से सुचित्रा का निधन हो गया। उनका प्राइवेसी की कद्र करते हुए अंतिम संस्कार में भी उनका चेहरा ढंक कर रखा गया। निधन के बाद इसी साल सुचित्रा को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।

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