राजनीति नहीं, रिश्तों की बात चंद्रशेखर ने बताया आज़म खान से फोन पर क्या चर्चा हुई

Sep 26, 2025 - 21:02
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राजनीति नहीं, रिश्तों की बात चंद्रशेखर ने बताया आज़म खान से फोन पर क्या चर्चा हुई

समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आज़म खान की 23 महीने बाद जेल से रिहाई ने यूपी की सियासत में एक बार फिर हलचल मचा दी है। अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि कौन-कौन नेता उनसे मिलने पहुंचता है और इसके क्या राजनीतिक मायने निकाले जाते हैं।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव का आज़म खान से मुलाकात का कार्यक्रम पहले ही तय हो चुका है, लेकिन उससे भी ज्यादा दिलचस्प चर्चा नगीना से सांसद और भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद की होने वाली मुलाकात को लेकर है।

जब चंद्रशेखर आज़ाद से इस बारे में सवाल किया गया कि क्या वह आज़म खान से मिलने जा रहे हैं, तो उन्होंने साफ कहा,"उनसे मेरी फोन पर बात हुई है। मैं उनकी तबीयत पूछ रहा था, और वो मेरी तिबयत पूछ रहे थे  फिर पूछने लगे कि सब कैसा चल रहा है... मैं जल्द ही उनसे मिलने जाऊंगा।"**
उन्होंने आगे ये भी स्पष्ट किया कि उनके आज़म खान से **राजनीतिक नहीं, पारिवारिक रिश्ते** हैं। "हमारे बीच जो रिश्ता है, वो राजनीति से ऊपर है," उन्होंने 

इस बीच बड़ी ख़बर यह भी थी  कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष **अखिलेश यादव 8 अक्टूबर को आज़म खान से मुलाकात करने रामपुर जाएंगे।** सपा सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश यादव सबसे पहले **लखनऊ के अमौसी एयरपोर्ट** पहुंचेंगे, वहां से वह **रायबरेली** जाएंगे और फिर **रामपुर** के लिए रवाना होंगे। माना जा रहा है कि यह मुलाकात केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि इसके पीछे पार्टी की **भविष्य की रणनीति** और **राजनीतिक समीकरणों** को लेकर गंभीर चर्चा हो सकती है। आज़म खान की रिहाई के बाद सपा नेतृत्व और उनके पुराने सहयोगियों के बीच यह पहली सीधी बातचीत होगी, जिसे पार्टी के अंदर और बाहर, दोनों ही जगह बड़े राजनीतिक संकेतों के रूप में देखा जा रहा है।


सवाल ये है कि यूपी की राजनीति में दो बड़े मुस्लिम चेहरे—आज़म खान और चंद्रशेखर आज़ाद—की ये बातचीत और संभावित मुलाकात क्या कोई नया सियासी संकेत है, या महज़ एक निजी सौजन्य भेंट?

**आज़म खान की रिहाई के साथ ही जो राजनीतिक सन्नाटा था, वो अब फिर शोर में बदलता नज़र आ रहा है। मुलाकातें होंगी, तस्वीरें बनेंगी, और उनके सियासी मायने भी निकाले जाएंगे—क्योंकि ये यूपी है, यहां हर हिलती कुर्सी कोई ना कोई संकेत देती है।**

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